आशुतोष सिंह हमारी संस्था के साथ कंस्ट्रक्शन मैनेजर के रूप में काम करते है और फिलहाल अहमदनगर में संजयनगर स्थानीय पुनर्वास के कार्यों में लगे है। यह लेख उनके और उनके साथियों के COVID सम्बंधित निजी अनुभव के बारे में है। लेख से जुड़ी तसवीरें भी उनके द्वारा खींची गयी है।

 

उम्मीद से भरी 2021

संजयनगर के स्थानीय पुनर्वास का कार्य नवम्बर 2020 में दोबारा से शुरू किया गया, जब देशभर में COVID लॉकडाउन धीरे-धीरे खुलने लगा था। सभी नियमों का पालन करते हुए हमनें कंस्ट्रक्शन में काफी तरक्की कर ली थी। ग्राउंड फ्लोर तेज़ी से तैयार हो रहा था, और सभी निवासियों को दिखाने के लिए एक सैंपल फ्लैट भी बनाया गया था। काम के रफ़्तार को देख कर हमें भरोसा था कि जून 2021 तक पहली बिल्डिंग का काम पूरा हो जाएग।

 

मुश्किल की घड़ी 

लेकिन मार्च 2021 के दुसरे हफ्ते में महाराष्ट्र में COVID की खबरें फिरसे उठने लगी थी, और कुछ शहरों में छोटे-मोटे कर्फ्यू लगने लगे थे । होली का त्यौहार भी आ रहा था, जिस दौरान लोग अपने खेतों में अगली फसल की तयारी भी किया करते है। हमारे कंस्ट्रक्शन साइट पर ज़्यादा से ज़्यादा मज़दूर भारत के उतरी और पूर्वी राज्यों से थे, जो त्यौहार और खेत के काम के लिए पहले से ही गांव जाने की बात कर चुके थे । मज़दूर कम पड़ने वाले थे, लेकिन हमनें महाराष्ट्र के दुसरे ठेकेदारों से बात करना शुरू कर दिया था । पर जैसे जैसे COVID की खबरें फैल रही थी, वैसे वैसे सख्त कर्फ्यू और लॉकडाउन का भी एलान होते जा रहा था। COVID की दूसरी लहर अब हमारे दरवाज़े पे थी। जो मजदूर गांव जाने की या अहमदनगर आकर हमारे साथ काम करने की सोच रहे थे, वो भी इस दुविधा में थे कि कहीं वह रस्ते में फस न जाए। सुनने में आ रहा था कि यह लहर पिछले वाले से ज़्यादा घातक होनेवाली थी और हर दिन खतरा बढ़ते जा रहा था।

 

निजी  कठिनाइयाँ

अप्रैल के दुसरे हफ्ते तक अहमदनगर में COVID बुरी तरह फैल चुका था। जिस तादार्त से मरीज़ों की संख्या, खासकर बच्चों में, बढ़ रही थी, उसी तीव्रता से बीमारी से जूझने के साधन भी ख़त्म हो रहे थे। कई दिनों तक सब्जी व् अनाज जैसे ज़रूरतमंद चीज़ों के दुकाने भी बंद रहते थे। दुसरे शहरों और प्रदेशों में बसे हमारे माता-पिता और अन्य रिश्तेदारों में जब यह बीमारी फैलने लगी, तो लगा जैसे हम खुली आँखों से एक डरावना सपना देख रहे हो। ऐसे माहौल में हमें कुछ कठिन निर्णय लेने पड़े, और मैं और मेरे कुछ साथी अपने बीवी-बच्चों को अहमदनगर में छोड़कर अपने रिश्तेदारों की देखभाल के लिए रवाना हो चले।

 

पुनः उम्मीद से भरी 2021 

इन सभी कठिनाइयों के बीच हम कंस्ट्रक्शन का काम भी चालू रखना चाहते थे। संजयनगर के सभी निवासियों को दिया वादा हमें पूरा जो करना था। कंस्ट्रक्शन का काम चालू रखने की अनुमति सरकार ने दे दी थी, पर अहमदनगर में ठेकेदार और मज़दूर दोनों ही मुश्किल से मिल रहे थे। 18 ठेकेदारों से बात करने के बाद हमने अंत में एक के साथ बात पक्की की, और मई में काम दोबारा से चालू करवाया। संजयनगर के कुछ निवासियों को हमनें कंस्ट्रक्शन साइट पे काम भी दिया जब लॉकडाउन में उन्होंने अपना रोज़गार खोया था। जैसे जैसे मज़दूरों की संख्या साइट पर बढ़ रही थी, COVID सम्बंधित नियमों को भी उतने ही गंभीरता से लागु किया जा रहा था। आज लगभग 3 महीनो के बाद हम कह सकते है कि बिल्डिंग का कार्य नियमित रूप से बढ़ रहा है और हम संजयनगर के परिवारों को उनके घर सौपने का वादा दृढ़ निश्चय के साथ निभाने में लगे है।