नजमुन्निसा खान हमारी संस्था के साथ कम्युनिटी पार्टनर के रूप पे काम करती है। नटवर पारेख कॉलोनी के सदस्य होने के नाते उन्होंने कॉलोनी में हाल ही में बनाये गए सोशल स्पेस के अनुभव का निजी वर्णन हमारे साथ बांटा। ऊपर शेयर किये गए तस्वीरों में से कुछ उनके मोबाइल कैमरा से ली गयी है, खासकर उनके घर की खिड़की से ली गयी कुछ तस्वीरें।

 

खुली जगहों की कमी से जूझते हुए

जनवरी 2020 में हमने नटवर पारेख कॉलोनी के कुछ युथ के साथ कॉलोनी से समन्धित एक क्रिएटिव प्रोजेक्ट पे काम करना चाहा। यहाँ के 25,000 सदस्यों में से एक होने के नाते मैं यहाँ की परेशानियों से वाकिफ हूँ, खासकर कॉलोनी में खुली जगहों के कमी की समस्या से। हमारे बातचीत में यह निकला कि कॉलोनी की लड़कियों को घर से बाहर निकलने की, और आस पास की थोड़ी बहुत खुली जगहों में घूमने या बैठने की इजाज़त नहीं मिलती थी। उन्हें खुद भी कई जगह सुरक्षित महसूस नहीं होता था। जब कोविड आया और शुरुआती दौर में हमें परिवार सहित दिन भर अपने छोटे घरों में बंध रहना पड़ा, तो कॉलोनी में बाहर बैठने की जगह की कमी हमें और खलने लगी।

 

नए जोश के साथ नयी शुरुआत

2021 में जब हमने दोबारा काम शुरू किया, तो युथ ग्रुप ने खुद ही सामने से आकर मीटिंग्स रखने की पहल की। उन्हें कॉलोनी में एक आकर्षक और साफ़ जगह बनाने की इच्छा थी, ताकि इतने दिन घर में बंध रहने के बाद NPC के सभी लोग बाहर निकलकर बैठने का मज़ा उठा सके। उन्होंने अपने ग्रुप को एक नाम भी दिया – यंग संगठन, और इनके इस जोश के बल पर हमने साथ मिलकर कॉलोनी में एक सोशल स्पेस बनाने का प्लान बनाया। उन्होंने CDA के टीम के साथ कॉलोनी के कुछ जगहों को देखा, और अंत में मेरी बिल्डिंग के सामने की एक खुली जगह को चुना।

मैं इस जगह को अपने खिड़की से रोज़ाना देखा करती थी। दिन के समय वहाँ बच्चे और लड़के खेला करते थे, पर रात के अँधेरे में कुछ नशा करनेवाले लोग वहाँ आ बैठते थे, जिसके कारण वहाँ और कोई नहीं जाता था। वहाँ पे खड़ी एक दीवार पे पेंटिंग करने और आस पास की जगह को साफ़ कर खूबसूरत बनाने में यंग संगठन और CDA की टीम साथ जुट गयी। बच्चों ने स्पीकर्स का इंतज़ाम किया और पेंटिंग में हाथ बटाने के साथ-साथ उन्होंने नाच गाने का माहौल भी बना दिया। अपने घर की खिड़की से उस दिन देखा, तो मैं उस जगह का रूप ही बदल गया था! रंगीन दीवार, 2 बेंच और कुछ गमलों के लग जाने से एक नयी जगह ही बन गयी थी।

 

जहाँ हो सभी के लिए जगह

उस सोशल स्पेस का उद्घाटन हुए 5 महीने हो गए, और आज भी अपने खिड़की से देखूं तो वहाँ हमेशा चहल पहल बनी रहती है। कभी दिन के समय वहाँ बच्चों को दीवार के सामने सेल्फी लेते हुए या वीडियो बनाते हुए देखती हूँ, या देर शाम को लोगों को वहाँ बैठे हुए पाती हूँ। कुछ लोग इस काम के खिलाफ थे, यह सोचकर कि हम इससे नशा करनेवालों को वहाँ बैठने का बढ़ावा दे रहे थे। पर लाइट्स लगने और लोगों के आते-जाते रहने के कारण न केवल नशा करनेवाले अब वहाँ नहीं बैठते, पर मैंने पाया कि बहुत सी लड़कियाँ और औरतें वहाँ आने लगीं थी। कोविड के दुसरे लॉकडाउन में जब कई लोग घर से काम कर रहे थे, तब कुछ जन वहां लगे बेंच पे आके अपने लैपटॉप पे काम किया करते थे। मुझे बहुत अच्छा लगता है यह देखकर कि वहाँ हर वक़्त कोई ना कोई होता है।

इस पहल की सफलता को देख कर मेरी बिल्डिंग की कुछ औरतें मुझे हमारे बिल्डिंग के आस पास और ऐसी जगहें बनाने को कहने लगी, ताकि वे और उनकी बेटियाँ बाहर आकर बैठ सके। इस तरह उनकी देखरेख में ही उनके बच्चे खेल सकेंगे। CDA की टीम और यंग संगठन के साथ मिलकर हम और ऐसे सोशल स्पेस बनाने की तयारी में लगें है, ताकि नटवर पारेख कॉलोनी सभी कम आय घरों के लिए एक खूबसूरत मिसाल बन सके।